चंडीगढ़ से सुखबीर सिंंह बाजवा. बुधवार को पंजाब कैबिनेट की मीटिंग है। इसमें किसानों की समस्याओं और केंद्र सरकार के कृषि कानूनों पर अपनाए गए अड़ियल रवैये पर विचार होगा। माना जा रहा है कि मीटिंग में अकाली-भाजपा गठबंधन के 10 साल के शासन में किसानों पर दर्ज केसों को वापस लेने पर भी विचार किया जा सकता है।
अकाली-भाजपा सरकार के दौरान पंजाब में कई किसान आंदोलन हुए थे। इस दौरान सैकड़ों किसानों पर केस दर्ज हुए। मुख्यमंत्री इन केसों को वापस लेने का फैसला ले सकते हैं। किसान इसकी मांग भी कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव भी ज्यादा दूर नहीं हैं। इसलिए अधिकतर कैबिनेट मंत्री चाहते हैं कि किसानों के परिवार की समस्याओं को जल्द से जल्द निपटाया जाए।
किसानों से अपील
पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार किसानों से बार-बार अपील कर रही है, वे खुदकुशी का रास्ता न अपनाएं। किसान नेता हरमीत सिंह कादिया ने कहा- किसान आंदोलन में संघर्ष जिनका निधन हुआ या जिन्होंने खुदकुशी की है, उनके परिवारों को राज्य सरकार से मदद मिलनी चाहिए। किसानों की समस्याओं के लिए एक कैबिनेट सब कमेटी गठन होना चाहिए।
नई भर्तियों पर भी होगी चर्चा
पिछले दिनों सरकार ने विभिन्न विभागों में खाली पदों पर नई भर्तियों का फैसला लिया है। कैबिनेट बैठक में इस पर भी चर्चा होगी। इस दौरान किस विभाग में कितने पद खाली हैं और उन्हें भरने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाए, इन सभी बातों पर विचार होगा। सरकार पर संभावित वित्तीय दबाव पर भी चर्चा होगी। पिछली कैबिनेट मीटिंग में एक लाख भर्तियां करने का ऐलान किया था।
केंद्र सरकार के खिलाफ मंत्रियो का प्रदर्शन
कांग्रेस सरकार के मंत्री और विधायक केंद्र सरकार के खिलाफ जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। ये मोदी सरकार की कमजोर नीतियों को लोगों तक पहुंचाएंगे।
विपक्ष लगाता रहा है आरोप
राज्य के विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल और आप सरकार पर आरोप लगाती रही है कि वो किसानों व कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं करती। इसलिए सरकार अब किसानों के पक्ष में फैसले ले सकती है, वहीं, खाली पड़े पदों पर भर्तियां कर युवाओं को नए साल का तोहफा देना चाहती है।
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