गुजरात में भावनगर के सालंगपुर में हनुमानजी का एक प्राचीन मंदिर है। इसे श्रीकष्टभंजन हनुमानजी के नाम से जाना जाता है। धानुर्मास की पूर्णिमा पर यहां देव हनुमानजी को सोने के गहनों से सजाया गया है। प्रतिमा को 21 किलो सोने और हीरे के गहने पहनाए गए हैं।
इनमें 100 से ज्यादा हार, 300 कड़े, हीरों से जड़े आठ मुकुट, 11 जोड़ी चांदी के कुंडल, 500 अंगूठियां, एक किलो चांदी का कमरबंद, पांच सोने से जड़ी रुद्राक्ष की मालाएं शामिल हैं। दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु सालंगपुर पहुंच रहे हैं। कोरोना के कारण प्रतिमा के ऑनलाइन दर्शन भी किए जा रहे हैं।

किले की तरह दिखता है मंदिर
सालंगपुर का कष्ट भंजन हनुमान मंदिर किसी किले की तरह दिखाई देता है। यह मंदिर अपने पौराणिक महत्व, सुंदरता और भव्यता की वजह से काफी मशहूर है। यहां कष्ट भंजन हनुमानजी सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं। उन्हें महाराजाधिराज के नाम से भी जाना जाता है। हनुमानजी की प्रतिमा के आसपास वानर सेना दिखाई देती है। हनुमानजी के साथ ही शनिदेव स्त्री रूप में विराजे हैं। वह हनुमानजी के चरणों में बैठे हैं।

हनुमानजी और शनिदेव से जुड़ी कथा
मान्यता है कि प्राचीन समय में शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था। लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा था। शनि से बचाने के लिए भक्तों ने हनुमानजी से प्रार्थना की। तब हनुमानजी ने शनिदेव को दंड देने का निश्चय किया। शनिदेव को ये बात पता चली तो वे डर गए। शनिदेव ये बात जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे स्त्रियों पर हाथ नहीं उठाते। इसलिए शनि ने स्त्री का रूप धारण कर लिया और हनुमानजी के चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे। हनुमानजी ने शनिदेव को क्षमा कर दिया।
माफी मिलने के बाद शनिदेव ने हनुमान से कहा कि उनके भक्तों पर शनि दोष का असर नहीं होगा। इस मंदिर में इसी मान्यता के आधार पर शनिदेव को हनुमानजी के चरणों में स्त्री रूप में पूजा जाता है। भक्तों के कष्ट दूर करने की वजह से इस मंदिर को कष्ट भंजन हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है।
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